चुनावों में मीडिया और संचार की भूमिका

चुनावों में मीडिया और संचार की भूमिका

चुनावों में मीडिया एवं संचार की महत्वपूर्ण भूमिका पर आज हमारे साथ बातचीत के लिए मौजूद हैं दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया एवं जनसंचार के प्राध्यापक प्रो. डॉ. आतिश पराशर। चुनाव के दौरान जनता को सभी राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी मीडिया के माध्यम से ही होती है और इस जिम्मेदारी का सम्पूर्ण निर्वहन भी मीडिया के द्वारा बखूबी किया जाता रहा है, आइये इन्हीं से जुड़े सवालों के साथ हम अपने बातचीत की शुरुआत करते हैं:

सवाल: लोकसभा के आम चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है और ऐसे में चुनावी सरगर्मी अपने चरम की ओर बढ़ रही है। ऐसे में मीडिया की भूमिका किस प्रकार महत्वपूर्ण हो जाती है?

जवाब: हमारे देश में चुनाव को लोकतंत्र का राष्ट्रीय पर्व कहा गया है और लोकतंत्र की मजबूती तभी है जब जनता अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकार हो। मीडिया की भूमिका लोगों को न केवल सटीक सूचना देने की है बल्कि उनको लोकतान्त्रिक अधिकारों के प्रति जागृत रखने की भी है। लोकतंत्र में अपनी इसी महतवपूर्ण भूमिका के कारन मीडिया को चौथे स्तम्भ का दर्जा दे दिया गया है। आज मीडिया ने मतदाताओं को जागरूक करने से लेकर उनके क्षेत्र के प्रत्याशियों तक की कुंडली जानने में आम जनता को मदद करती है। साथ ही मीडिया के माध्यम से वर्तमान पीढ़ी देश सहित अपने स्थानीय मुद्दों को समझती है और ऐतिहासिक तथ्यों से भी रूबरू होती है। इसलिए मीडिया ने इस गर्मी के मौसम में राजनीतिक पारा को नियंत्रित करने की अपनी क्षमता को और मजबूती से एहसास दिलाया है।

सवाल: मीडिया पर आरोप लगते हैं कि मीडिया एकपक्षीय रिपोर्टिंग करती है और सरकार के अनुसार चलती है। इस आरोप पर आप क्या कहेंगे।

जवाब: मीडिया एकपक्षीय नहीं होती है। मीडिया दोनों पक्षों को लेकर ही हमेशा चलती है और आकलन की जिम्मेदारी अपने दर्शकों या पाठकों पर छोड़ देती है। भारतीय मीडिया की स्वतंत्रता निश्चित तौर पर गिरते हुए दिखाया जा रहा है लेकिन इनके बीच मीडिया भी इसी समाज से निकले लोगों के हाथों में होती है तो किसी का व्यक्तिगत विचार स्वभावत: हावी होती है जिससे सबको बचना चाहिए। सरकार के योजनाओं और उनकी कार्यशैली पर सवाल जवाब भी यही मीडिया उठाती है लेकिन विज्ञापन भी एक सच है जो किसी भी संसथान के लिए अपने कर्मचारियों के भरण-पोषण के लिए जरुरी है और विज्ञापनों की सबसे बड़ी आमद व्यवसायिक घरानों या सरकार से ही प्राप्त होती है। इसलिए मीडिया अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के साथ-साथ अपने आमदनी के स्रोत भी तलाशती रहती है।

सवाल: नए मतदाताओं के लिए मीडिया की भूमिका किस प्रकार कारगर साबित हो सकती है? बताएं।

जवाब: सरकारी स्तर पर मतदान के प्रति मतदाताओं का रुझान और दिलचस्पी बढाने के लिए कई कार्यक्रम चलायें जाते हैं जिनका एकमात्र उद्देश्य मतदान प्रतिशत में इजाफा करना होता है। यह जिला स्तर से लेकर राज्य और केन्द्रीय स्तर पर संचालित किया जाता है। नए मतदाताओं को मतदान के लिए शिक्षित कर्ण में मीडिया का मत बेहद मायने रखता है और उन्हें इस बात का एहसास दिलाने का काम होता है कि एक-एक मत लोकतंत्र के मजबूती के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। प्राय: अखबारों में या टीवी और रेडियो के साथ अब सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर सरकार के द्वारा विज्ञापन के माध्यम से मतदान को लेकर जागरूकता अभियान संचालित की जाती है। ऐसे अभियानों की मदद से सामाजिक जिम्मेदारी के साथ-साथ नए मतदाताओं की भूमिका को भी जोड़ा जाता है। विश्व में आज हमारे देश में सबसे ज्यादा युवा हैं तो इस बार का चुनाव यह माना जायेगा कि युवाओं ने अपनी पसंद की सरकार चुनी है।

सवाल: मुख्यधारा के मीडिया माध्यमों के प्रति आम दर्शकों और पाठकों में रुझान कम हो रहे हैं, क्या आपको लगता है कि सोशल मीडिया और मोबाइल ही अब सूचनाओं के संचरण में महत्वपूर्ण हो चुके हैं?

जवाब: तकनीक के विकास के साथ मीडिया के विभिन्न माध्यम अपनी उपयोगिता साबित करते रहें हैं। वैश्विक स्तर पर देखा जाएँ तो सबसे पहले प्रिंट मीडिया ने खुद को स्थापित किया उसके बाद रेडियो और टीवी ने मजबूती से अपनी जगह बनाई है। तकनीकी उन्नयन से मोबाइल अब सूचना संचरण का प्रमुख माध्यम बनकर उभरा है। स्मार्ट फोन ने अखबार, रेडियो, टीवी और भौतिक विज्ञापन के माध्यमों को अपने अन्दर समाहित करते हुए खुद को मजबूती से स्थापित किया है और इसके वाजिब मूल्य, सुगम, चलंत, ऊर्जा के सार्थक इस्तेमाल करने के कारण बेहद ही तेजी से लोकप्रिय हुआ। साथ ही इन्टरनेट के माध्यम से इसने अपने उपभोक्ताओं को विश्व के घटनाक्रम तक तेजी से पहुँचने और उनको प्राप्त करने में सहूलियत का मार्ग देने का काम किया है।

सवाल: चुनाव में संचार और मीडिया के अंतर्सम्बन्ध पर आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

जवाब: मीडिया ने हमेशा से अपनी सामाजिक और राजनीतिक जिम्मेदारियों के साथ लोकतान्त्रिक भूमिका का बखूबी निर्वहन किया है और आगे भी करता रहेगा। चुनावों में मीडिया के माध्यम से उसके श्रोता और दर्शक या पाठक जमीनी हकीकत के साथ-साथ अपने इलाके की समस्याओं को भी प्रत्याशियों के बीच पहुंचाते हैं और साथ ही देश के हालात और वैश्विक भूमिका को भी समझते हैं। मीडिया एक अच्छे शिक्षक की भांति सामाजिक चेतना को जागृत करने के लिए भी मंच प्रदान करती है। चुनाव में मीडिया के ख़बरों के माध्यम से जनमत का निर्माण भी होता रहा है। इसलिए चुनाव में और खासकर राजनीतिक संचार में मीडिया की भूमिका प्रासंगिक और शीर्ष बनी रहती है।

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